फेक न्यूज फैलाई तो मिलेगी GoM की घूरती नजर- सरकार का नया वार ज़ोन

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

सोशल मीडिया पर जो उंगलियां सिर्फ स्क्रीन स्क्रॉल कर रही थीं, अब उन पर सरकार की आंखें टिकी हैं। वजह? फेक न्यूज फैक्ट्रियों का बढ़ता टर्नओवर और जनता का बढ़ता टेम्परेचर!

नायडू सरकार का डिजिटल मास्टरस्ट्रोक!

आंध्र प्रदेश में सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों और भड़काऊ कंटेंट की रोकथाम के लिए GoM यानी Group of Ministers नाम की एक डिजिटल मॉनिटरिंग टीम बनाई गई है। अब फेसबुक, ट्विटर (या जो भी अब X है), इंस्टा और व्हाट्सएप पर बकवास फैलाने वालों की खैर नहीं!

GoM के VIP मेंबर्स कौन हैं?

IT & HRD मंत्री नारा लोकेश (डिजिटल ब्रह्मा?)

स्वास्थ्य मंत्री वाई सत्य कुमार यादव

नागरिक आपूर्ति मंत्री नादेंदला मनोहर

हाउसिंग और I&PR मंत्री कोलुसु पार्थसारथी

गृह मंत्री वांगलापुडी अनीता

यानी कंटेंट वायरल करने से पहले 5 बार सोच लीजिए, अब रील्स नहीं, रूल्स चलेंगे!

क्यों बनाई गई यह समिति?

हिंसा की आग, शुरुआत सोशल मीडिया से!

नेपाल और लद्दाख की हालिया घटनाओं में सोशल मीडिया ने जिस तरह “अंगारे में घी” का काम किया, उससे राज्य सरकार की नींद उड़ी हुई थी।

Gen-Z का नया हथियार: ट्वीट और ट्रेंड

अफवाहें इतनी वायरल कि वॉट्सऐप भी थक गया

हेट स्पीच का नया गढ़: कमेंट सेक्शन

अब ये सब रोकने के लिए सरकार ने अपना डिजिटल Danda निकाला है।

समिति का टारगेट क्या है?

ये कोई री-एक्शन नहीं, प्रो-एक्शन है:

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही तय करना

फेक न्यूज और अफवाहों की पहचान और नियंत्रण

वैश्विक कानूनों और बेस्ट प्रैक्टिसेज़ का अध्ययन

नागरिकों की स्वतंत्रता और शांति व्यवस्था का संतुलन

यानी अब अगर आपने “मंत्री ने चाँद पर घर खरीदा” जैसी झूठी खबर फैलाई, तो GoM आपके ड्रीम को नहीं, आपके डिवाइस को हिला सकती है।

“बिना वेरीफाई खबर फॉरवर्ड की? चलिए, GoM आपको Forward कर रही है जेल की ओर!”

मतलब – “अब सोशल मीडिया पोस्ट करने से पहले, HRD मंत्री से अप्रूवल लेना पड़ेगा क्या?” “अब तो इंस्टा स्टोरी डालने से पहले भी लगेगा ‘Under Government Review’ टैग!”

क्या यह फ्रीडम ऑफ स्पीच पर हमला है?

सरकार का कहना है कि यह कदम फ्रीडम ऑफ स्पीच की रक्षा के लिए है, ना कि उस पर हमला।

विचार रखने की आज़ादी है, लेकिन आग लगाने की नहीं। क्रिटिसिज़्म अलाउड है, लेकिन फेक कंटेंट बैन।

अगर आप सही हैं, तो चिंता करने की जरूरत नहीं। लेकिन अगर आप WhatsApp University के ग्रेजुएट हैं, तो टेंशन जरूरी है।

सोशल मीडिया अब फुल फॉर्म में – लेकिन सरकार भी ‘सेंसर’ मोड में!

आंध्र प्रदेश की GoM कमेटी ने साबित कर दिया है कि डिजिटल इंडिया सिर्फ डेटा स्पीड बढ़ाने तक सीमित नहीं है, अब बात डिजिटल डिसिप्लिन की भी है।

तो अगली बार सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट करने से पहले खुद से पूछिए- “क्या मैं GoM की नज़र से बच पाऊंगा?”

“BB19 में कौन है ‘इरिटेशन का इंस्टिट्यूट’? नाम सुनकर TV बंद कर देंगे!”

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